
सुमित शर्मा हत्याकांड: भाई साहब, इस बार जो मऊगंज से खबर आई है, उसने सिर्फ एक परिवार नहीं, पूरे गांव की रूह हिला दी है। 17 साल का सुमित शर्मा… वो लड़का जो सबका दुलारा था, थोड़ा शर्मीला लेकिन बहुत समझदार, अब इस दुनिया में नहीं है. और मरने की वजह? प्यार हां, वही प्यार जिसे हम फिल्म में देखते हैं, लेकिन यहां उसका अंजाम किसी भूतिया कहानी से कम नहीं।
तिरंगे के नीचे हुई सुमित शर्मा हत्याकांड की साजिश
जिस दिन पूरा देश झंडा फहरा रहा था, सुमित मौत की ओर बढ़ रहा था। उस रात वो किसी से फोन पर बात करता हुआ निकला था। घरवालों ने सोचा होगा, चलो मोहल्ले में घूम के आ जाएगा। लेकिन क्या पता था, वो आखिरी बार जा रहा है. अगली सुबह खेत में मिला उसका शरीर – चाकू से छलनी, हाथ-पैर जलाए हुए। एक मां की चीख, एक बाप की चुप्पी, और गांव का सन्नाटा। वो मंजर जिसने लोगों को झकझोर दिया, किसी ने सही कहा है, गांव का सबसे बड़ा डर “बदनामी” नहीं, वो साजिश होती है जो अपनों के बीच ही पलती है।
पुलिस भी शुरू में सोच में पड़ गई थी, न कोई दुश्मनी, न कोई झगड़ा। मोबाइल रिकॉर्ड देखे, लोगों से पूछा – लेकिन सारा गांव जैसे एक अजीब सी चुप्पी ओढ़े था। फिर पुलिस ने वो किया जो फिल्मों में हीरो करता है, धैर्य नहीं खोया, कुछ दिन बाद पता चला कि सुमित का गांव की एक लड़की से अफेयर चल रहा था। दोनों एक-दूसरे को स्कूल टाइम से जानते थे, और दिल से चाहते थे। लेकिन लड़की के घरवालों को ये सब नागवार था, गांव में लड़की का प्यार करना तो जैसे गुनाह हो गया था। बस फिर क्या था, शुरू हुई एक साजिश, इज्जत के नाम पर कत्ल।
हत्या की स्क्रिप्ट तैयार हो गई
अब सुनो सुमित शर्मा हत्याकांड की असली ट्विस्ट, पुलिस ने जिन तीन लोगों को पकड़ा, उनमें से एक है दुर्गेश तिवारी, बीजेपी युवा मोर्चा का मंडल उपाध्यक्ष, उसके साथ थे अर्पित और अनीत त्रिपाठी, दोनों गांव के लड़के। 15 अगस्त की रात दुर्गेश ने खुद सुमित को फोन किया, “भाई, ज़रा घर आना है.” और सुमित, जो भरोसे वाला था, चला गया। वहां क्या हुआ? पहले धक्का दिया, फिर चाकू से बुरी तरह मारा और सिर्फ इतना ही नहीं, बाद में हाथ-पैर जलाए ताकि पहचान भी न रहे। सोचिए, कितनी नफरत भरी थी उनके अंदर?
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गांव वालों की सूंघ ने बिगाड़ा प्लान
तीनों आरोपी जब लाश को ले जा रहे थे, खेतों की तरफ, जहां कचरा फेंका जाता है , तभी कुछ गांववालों की नजर पड़ गई। अब गांववाले कोई CCTV नहीं होते, लेकिन उनकी नजर और शक दोनों तेज होते हैं। शोर मचाया गया, तो आरोपी भाग निकले, और लाश वहीं छोड़ दी, यहीं से पुलिस को थोड़ी उम्मीद जगी।
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पुलिस ने हार नहीं मानी, गांव में इंटेलिजेंस, मोबाइल रिकॉर्ड, और कुछ पुराने CCTV फुटेज खंगाले गए। जब सबूत का ढेर सामने रखा गया, तो तीनों आरोपियों की अकड़ भी पिघल गई। एक-एक करके सब उगल दिया, शुक्रवार को कोर्ट में पेश हुए और फिर गए सीधा जेल।
अब राजनीति भी इसमें घुस गई और गाड़ियों के हूटर ने सबका ध्यान खींचा
अब मसला सिर्फ हत्या का नहीं रहा, जब सोशल मीडिया पर दुर्गेश की फोटो वायरल हुई – जिसमें वो मिठाई बांट रहा था – तो लोग बोले, “अरे ये तो सेलिब्रेशन कर रहा है, हत्या के बाद?” और वो वीडियो जिसमें एक विधायक की गाड़ी उसके घर के बाहर दिखी। भाई साब, पूरा तंबू उड़ गया, लोग बोले – ये तो सियासत का सीधा खेल है।
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देवरी सेंगरान गांव में अब डर का माहौल
सुमित शर्मा हत्याकांड के बाद देवरी सेंगरान गांव आज भी खामोश है, हर गली जैसे कुछ कह रही है। सुमित की मां का रो-रोकर हाल बेहाल है, बार-बार कहती है, “बस इतना ही गुनाह था कि बेटे ने प्यार किया?” लोगों का गुस्सा फुटने को है वो कहते हैं अगली बार अगर कोई सुमित बना, तो ये सिस्टम भी जिम्मेदार होगा।
सुमित की मौत हमें ये सोचने पर मजबूर करती है, क्या इज्जत के नाम पर किसी की जिंदगी ले लेना सही है? क्या राजनीति इतनी अंधी हो चुकी है कि वो अपराधियों को बचाने खड़ी हो जाए? गांव की गलियों में अब भी उसकी हंसी गूंजती है, उसकी मां अब भी दरवाजे की तरफ देखती है। और शायद, इंसाफ एक दिन दस्तक देगा।
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