रीवा नदी में उफान: रीवा में हो रही तेज बारिश के चलते रीवा की सभी नदी नाले पानी-पानी हो गए, सभी में जल भराव की स्थिति बनी है। रीवा के दो मुख्य नदियां बकिया और बीहर बराज नदी पर भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसी स्थिति बनती जा रही है। आसपास के इलाके पानी की गिरफ्त में है। कई सालों बाद बीहड़ बराज के तीन गेट खोले गए हैं। आए जानते हैं रीवा में बारिश का कहर कहां-कहां तबाही मचा रहा है।

एमपी के कई जिले बारिश से प्रभावित
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में पिछले 15 दिनों से तेज बारिश हो रही है और एमपी के कई जिले बारिश से प्रभावित हुए हैं। कुछ जिलों में तो बाढ़ जैसे स्थिति बन गई है जो गांव और शहर बड़े नदी नालों के आसपास है उन्हें इलाके खाली करने पड़े हैं। मध्य प्रदेश मौसम विभाग ने कुछ दिन पहले एमपी में भारी बारिश के लिए रेड अलर्ट भी जारी किया था जिन में कुछ तीन जिले शामिल थे।
रीवा में बारिश कितनी हुई (Rewa Heavy Rain)
पिछले तीन दिन की बारिश में बारिश का भयावह रूप देखने को मिला, जिसके चलते रीवा की दो खास नदिया बकिया बराज और बीहड़ पानी से जल मग्न हो गई। इस नदी में इतना पानी भर की आसपास के इलाके खाली करने पड़े। रीवा में कई सालों बाद ऐसी बारिश हुई है, जो की बंगाल की खाड़ी के मौसम के कारण हुई है। (रीवा नदी में उफान)
बाणसागर बांध बहुत दिनों बाद 340 मीटर तक भरा है। बाणसागर भी पानी पानी होने के कारण इसके भी कई गेट खोलने पड़े हैं ताकि बाढ़ जैसी स्थिति ना आ जाए। अगर बाणसागर बांध इससे भी ऊपर भर गया तो आसपास के इलाकों में जल भराव हो सकता है और लोगों को अपने घर छोड़कर बाहर भी जाना पड़ सकता है।
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सभी पर्यटन स्थलों में अलर्ट
मौसम विभाग ने मध्य प्रदेश के जिन जिलों में भारी बारिश हुई है वहां के पर्यटन स्थलों पर जाने के लिए रोक लगा दी है और अलर्ट जारी किया है। प्रशासन ने मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार रीवा के कई पर्यटन स्थल पर ऐसे मना किया है। मध्य प्रदेश में बारिश के चलते लोगों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
संजय गांधी अस्पताल का बेसमेंट पानी पानी
संजय गांधी अस्पताल रीवा में तेज बारिश के कारण बेसमेंट और आसपास पानी भर गया जिससे लोगों को गाड़ियां पार्क करने में तकलीफ हुई। सामान्य आने जाने वाले रास्तों पर भी पानी भर होने के कारण मरीजों को लाने ले जाने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। मध्य निकासी के लिए कोई अच्छी व्यवस्था नहीं होने से जल भराव की स्थिति हो जाती है। संजय गांधी अस्पताल प्रशासन को इस पर गौर देना चाहिए।