
श्योपुर: मध्य प्रदेश के श्योपुर में प्रॉपर्टी और पैसों के लालच में बेटे ने मां की हत्या कर दी। बीते वर्ष रेलवे कॉलोनी में हुई इस दिल दहला देने वाली वारदात में अब कोर्ट ने आरोपी बेटे को फांसी की सजा सुनाई है। 20 साल पहले अनाथ आश्रम से गोद लिए गए दीपक पचैरी ने अपनी ही मां उषा देवी की जान ले ली।
मध्य प्रदेश के श्योपुर का है मामला
मध्य प्रदेश के Sheopur में एक ऐसा मामला आया है जो लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर रहा है कि, क्या किसी अनाथ को गोद लेना पाप है? ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं कि मध्य प्रदेश में एक ऐसी घटना हुई है जिसमें 20 साल पहले गोद लिए गए एक बेटे ने अपनी ही मां को प्रॉपर्टी के लिए जान से मार दिया। आईए जानते हैं इसकी दिल दहला देने वाली स्टोरी क्या है?
1 साल पहले की घटना
आपको याद होगा पिछले साल Sheopur रेलवे कॉलोनी में रहने वाली एक महिला की हत्या हो गई थी, इस पर कई दिनों तक पुलिस ने जांच पड़ताल की। पहले तो इससे चोरी और हत्या का मामला समझ गया, लेकिन बाद में सौतेले बेटे पर शक की बुनियाद पर जांच शुरू हुई और बाद में सौतेला बेटा ही मां की हत्या का आरोपी निकला। महिला की हत्या के बाद सौतेले बेटे जिसका नाम दीपक पचेरी था, को जेल हो गई थी।
1 साल से दीपक पचेरी जेल में ही था और कोर्ट उसे पर विचार कर रही थी कि उसे उम्र कैद की सजा दी जाए, लेकिन जन आक्रोश और निर्मम हत्या के दोषी दीपक को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है।
रिश्ते को किया तार- तार
लोग तो वैसे ही कह रहे हैं कि आजकल खून का रिश्ता भी सगा नहीं रहा, ऐसे ही मामले रिश्ते को तार-तार करते हैं। उषा देवी ने 21 साल पहले अनाथालय से दीपक पचेरी को गोद लिया था। 20 साल तक पालन पोषण किया, पढ़ाया लिखाया और अंत में ऐसा अंजाम मिला जिसकी दूर-दूर तक कोई उम्मीद नहीं थी। आने वाले समय में क्या कोई अनाथ बच्चों को गोद ले सकेगा? यही सवाल लोगों के जहां में पनपते हैं और लोगों का भलाई से विश्वास उठ जाता है।
दीपक पचेरी को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है, उसे पर एक साल से विचार विमर्श हो रहा था कि इसे फांसी दी जाए या फिर उम्र कैद लेकिन अंत में है उसको फांसी देने का फैसला कोर्ट द्वारा लिया गया। इससे लोग सही इंसाफ मान रहे हैं।
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