
मऊगंज समाचार: एक बार फिर ऐसा मामला सामने आया है जिसने लोगों को चौंका दिया है। जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत खैरा ग्राम पंचायत में 17 अप्रैल को एक छोटा सा कार्यक्रम रखा गया था, वो भी सिर्फ 40 मिनट का। लेकिन जब इसके खर्चे का हिसाब सामने आया तो सबकी आंखें फटी की फटी रह गईं। बताया जा रहा है कि इस कार्यक्रम में सिर्फ गद्दे, चादर, नाश्ता और पानी की बोतलों पर ही 10 लाख रुपये फूंक दिए गए। अब आप सोचिए, 40 मिनट के प्रोग्राम में इतना खर्चा? लोग कहने लगे – “भई, ये गद्दे चांदी के थे क्या?”
कौन-कौन था प्रोग्राम में?
इस इवेंट में मध्यप्रदेश के पंचायत मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल और विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष गिरीश गौतम शामिल हुए थे। इनके अलावा करीब 150 लोग और मौजूद रहे। अब इतने लोगों के लिए गद्दे, बोतल और नाश्ते का इंतज़ाम होना आम बात है, लेकिन ये बात तब अजीब लगने लगी जब कार्यक्रम में शामिल कुछ लोगों ने कहा कि उन्हें तो पानी की एक भी बोतल नहीं मिली।
जनपद पंचायत अध्यक्ष नीलम सिंह और सदस्य सिद्दीकी खुलकर सामने आए और बोले कि पूरे कार्यक्रम में न तो किसी को नाश्ता मिला, न खाना और न ही पानी। ऊपर से बिल लग गया पूरे 10 लाख का। मतलब जो खर्च हुआ ही नहीं, वो भी दिखा दिया गया।(मऊगंज समाचार)
पूरे आयोजन के लिए जो बजट 2.5 लाख ही मंजूर था
असल में, इस पूरे आयोजन के लिए जो बजट पास हुआ था, वो सिर्फ ढाई लाख रुपये का था। लेकिन बिना किसी प्रशासनिक मंजूरी के दस लाख रुपये का बिल लगाकर भुगतान भी कर दिया गया। अब आप ही बताइए, अगर घर में 5 हजार का सामान लेना हो और कोई 50 हजार का बिल बना के दे दे तो कैसा लगेगा? नीलम सिंह का कहना है कि न तो इस खर्चे के लिए प्रशासन की मंजूरी ली गई, और न ही कोई लेखा समिति से अनुमति मिली। एकदम मनमर्जी से फाइल पास कर दी गई और पैसा भी निकल गया।
कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश
इस पूरे मामले की शिकायत मऊगंज कलेक्टर अजय जैन से की गई है। उन्होंने तुरंत एक जांच टीम भी बना दी है ताकि सच्चाई सामने आ सके। अब देखना ये होगा कि जांच में क्या निकल कर आता है, वाकई में चार प्रोग्रामों का खर्चा था या फिर कोई बड़ा खेल हुआ है।
फर्म का भी है अलग दावा
जिस फर्म को ये पेमेंट हुआ है, उसके मालिक ने कहा है कि ये बिल सिर्फ 17 अप्रैल वाले एक प्रोग्राम का नहीं है। उनका कहना है कि उन्होंने चार अलग-अलग कार्यक्रमों के लिए सामान और सर्विस दी थी, इसलिए खर्च ज्यादा आया। अब सच्चाई क्या है, ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा। (मऊगंज समाचार)
जनता का गुस्सा और सवाल
स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर गुस्सा है। कुछ ने तो ये भी कहा कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो अगली बार पानी की एक बोतल के लिए भी टेंडर निकलेगा और वो भी लाखों में। अब देखना ये है कि जांच का नतीजा क्या निकलता है। लेकिन फिलहाल तो यही लग रहा है कि MP में एक और बिल घोटाले की कहानी लिखी जा चुकी है। जनता उम्मीद कर रही है कि जो भी दोषी हो, उस पर सख्त कार्रवाई हो।
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