कूनो नेशनल पार्क इन दिनों फिर से चर्चा में है। वजह? वहीं पुरानी चिंता, चीतों की जान की हिफाजत। अबकी बार मुसीबत की जड़ बनी है लगातार हो रही बारिश, जो थमने का नाम ही नहीं ले रही। सोचिए, जंगल की ज़मीन चारों तरफ से पानी में डूबी हुई है। जगह-जगह दलदल और फिसलन भरे रास्ते। ऐसे में ट्रैकिंग करना, मतलब चीतों की लोकेशन पकड़ना, किसी सिर दर्द से कम नहीं है।
आशा और उसके बच्चे पार्क से बाहर निकल गए
सबसे ज्यादा चिंता की बात तो तब सामने आई जब मादा चीता ‘आशा’ अपने तीन बच्चों को लेकर कूनो नेशनल पार्क की सीमा पार कर बागचा एरिया की तरफ निकल गई। अब वो जंगल का इलाका तो है ही, लेकिन खतरे भी कम नहीं हैं। बारिश ने वहां हालात और खराब कर दिए हैं। नहरें लबालब भरी हुई हैं, और कहीं-कहीं तो ऐसे गड्ढे बन गए हैं जिनमें कोई भी जानवर फंस सकता है।

वन विभाग के लोग दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, लेकिन रास्ते इतने बिगड़ चुके हैं कि गाड़ी तो छोड़िए, पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है।
एक साल पहले पवन की मौत
अब जो बात सबसे डराने वाली है, वो ये कि पिछले साल चीता ‘पवन’ की मौत भी ऐसे ही हालात में हुई थी। बेचारा पानी से भरे एक गड्ढे में गिर गया था और फिर बाहर ही नहीं निकल पाया। और अब फिर से वही डर सबके मन में लौट आया है। लोग कह रहे हैं – “इतना बड़ा प्रोजेक्ट है, इतने करोड़ों खर्च हुए, लेकिन अभी भी हमारी तैयारियां अधूरी हैं।” और सच कहें तो इस बात में दम भी है। इतने नाजुक और बेशकीमती जानवरों को लाकर अगर हम उनका ध्यान नहीं रख पा रहे हैं, तो फिर सब बेकार लगता है।
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ट्रैकिंग बन गई है सबसे बड़ी चुनौती
बारिश की वजह से कूनो नेशनल पार्क की ज़मीन ऐसी हो गई है जैसे कोई बड़ा दलदल। वन विभाग की टीम को चीतों को ढूंढने में जबरदस्त दिक्कत आ रही है। आशा और उसके शावकों को लगातार ट्रैक करना जरूरी है, वरना खतरा कहीं से भी आ सकता है। टीम कोशिश कर रही है, लेकिन पानी और कीचड़ ने सारा सिस्टम बिगाड़ दिया है। ऊपर से अगर चीते किसी अनजान इलाके में पहुंच जाएं, तो नहर या खुले गड्ढों में फंसने का डर हमेशा बना रहता है।
लोग भी हो गए हैं बेचैन
जानवरों से प्यार करने वाले लोग और जानवरों के हक में आवाज़ उठाने वाले एक्टिविस्ट्स भी अब सवाल उठा रहे हैं। सोशल मीडिया पर फिर वही चर्चा गर्म है – “क्या कूनो प्रोजेक्ट फेल हो रहा है?” कोई कह रहा है, “चीतों को लाया तो गया, लेकिन अब उनकी देखरेख में कमी दिख रही है।” चिताओं की सुरक्षा को लेकर लोगों का दिल एक बार फिर घबराने लगा है। अब बस यही दुआ है कि आशा और उसके नन्हें शावक सही-सलामत वापस लौट आएं और फिर से कूनो में मस्त होकर दौड़ते दिखें।