
पार्वती नदी में बाढ़: मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले से दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। पार्वती नदी ने इस बार ऐसा कहर ढाया कि कई घरों में मातम छा गया। बारिश तो थमी, लेकिन उसके बाद जो मंजर सामने आया, उसने सबको झकझोर कर रख दिया। बुधवार की दोपहर की बात है। अमल्दा गांव के राजू यादव अपने भतीजे शिवम के साथ खेत पर गए थे।
बारिश के बाद पानी इतना भर गया था कि खेत में लगाई पाइपलाइन को बहने का डर था। दोनों उसी को बचाने की कोशिश में लगे थे कि तभी पार्वती नदी का बहाव अचानक खेत तक पहुंच गया। पार्वती नदी में बाढ़ के तेज पानी ने दोनों को अपने साथ खींच लिया। फिर क्या था, गांव में हाहाकार मच गया। लोगों ने काफी खोजबीन की, लेकिन जब गुरुवार सुबह दोनों के शव मिले, वो भी एक-दूसरे से चिपके हुए… तो हर आंख नम हो गई। ताऊ और भतीजे की यह आखिरी लड़ाई थी, पानी से, जो वो हार गए।
ग्राम पचावली में सिंध नदी की तबाही
उधर, शिवपुरी जिले के ग्राम पचावली में सिंध नदी ने भी तबाही मचा दी। बाढ़ का पानी गांव में ऐसा घुसा कि करीब पचास परिवारों को अपना घर छोड़कर ऊंची जगहों पर जाना पड़ा। कुछ जगहों पर तो सिर्फ दीवारें ही बाकी रह गई हैं। लोग बस खाली आंखों से अपनी टूटी झोपड़ियों को देखते रह गए।
एक और घटना
एक और घटना ने सबको भीतर तक हिला दिया। बनवारी जाटव नाम का एक 50 साल का चरवाहा अपनी भैंस को बचाने नाले में उतर गया। लेकिन वो खुद उस बहाव में बह गया। बाद में उसका भी शव मिला। गांव वाले बताते हैं कि बनवारी हमेशा से भैंसों को अपना परिवार मानता था, शायद इसलिए खुद की जान दांव पर लगा दी। इस बाढ़ ने सिर्फ घर नहीं छीने, लोगों की हिम्मत भी तोड़ दी है। लेकिन फिर भी गांवों में लोग एक-दूसरे का हाथ पकड़कर जीने की कोशिश कर रहे हैं।
चंबल नदी का जलस्तर बढ़ा
मुरैना की बात करें तो वहां चंबल नदी का जलस्तर पिछले तीन दिन से लगातार बढ़ रहा था। लेकिन गुरुवार शाम से थोड़ी राहत मिली, जब पानी का लेवल धीरे-धीरे गिरना शुरू हुआ। फिर भी डर बना हुआ है, क्योंकि 138 मीटर के खतरे के निशान से ये करीब साढ़े चार मीटर ऊपर तक पहुंच गया था। आपदा प्रबंधन की टीमें लगातार रेस्क्यू कर रही हैं, पर कई जगहों तक अब भी पहुंच नहीं हो पाई है। कई गांवों में लोगों को अब भी मदद का इंतजार है।
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