इस बार रीवा मंडी में धान का जो भाव चल रहा है, उसने किसानों का थोड़ा बहुत मन खुश किया है। 17 जुलाई 2025 की बात करें, तो औसतन ₹2,220 प्रति क्विंटल पर धान बिक रहा है। न्यूनतम ₹2,210 और ज़्यादा से ज़्यादा ₹2,220 तक का भाव रहा। मतलब भावों में उतार-चढ़ाव नहीं है, लेकिन इतना भी कम नहीं कि निराशा हो। एक किसान ने बताया, “इस बार भाव भले ज़्यादा नहीं बढ़ा, लेकिन चलो ठीक-ठाक मिल रहा है। ऐसे में किसान बेचने से पहले थोड़ा सोच-समझ कर फैसला ले रहे हैं।

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चाकघाट की मंडी ने कर दिया सबको हैरान
अब अगर बात करें रीवा जिले के बाहर की, तो चाकघाट मंडी में तो जैसे धान ने रफ्तार पकड़ ली हो। 25 जून को वहां पर ₹2,400 से लेकर ₹2,425 प्रति क्विंटल तक का रेट मिला। सोचिए, जहां रीवा में ₹2,220 चल रहा है, वहीं चाकघाट में ₹200 तक ज़्यादा मिल रहा है। लोगों का कहना है कि चाकघाट में कभी-कभी तो इतनी डिमांड हो जाती है कि व्यापारी ज़्यादा पैसे देने को तैयार हो जाते हैं। कुछ तो यही सोचकर अपनी उपज वहीं ले जाने लगे हैं।
मार्च से लेकर अब तक का भाव कैसा रहा?
अगर थोड़ा पीछे जाएं, तो मार्च और अप्रैल 2025 में धान के भाव ₹2,010 से ₹2,120 के बीच झूलते रहे। उस वक़्त ज़्यादा हलचल नहीं थी, बस जैसे-तैसे बाज़ार चलता रहा। फिर मई आया और ₹2,200 से ₹2,305 तक रेट पहुँच गया। जून में भी खास कर चाकघाट में अच्छा-खासा उछाल दिखा, ₹2,350 से ₹2,425 तक। लेकिन रीवा मंडी वहीं ₹2,220 पर रुकी रही।
पिछले साल के अक्टूबर से दिसंबर 2024 तक तो भाव काफी नीचे चले गए थे, कुछ मंडियों में ₹1,900 तक ही मिल पाया था। तो जो अभी मिल रहा है, वो लोगों को थोड़ा राहत भरा लग रहा है।
सतना और डिंडोरी का क्या हाल है?
अब सोचिए, सतना में तो हाल कुछ और ही है। वहाँ ₹1,400 प्रति क्विंटल, यानी ₹14 प्रति किलो का भाव चल रहा है। ये सुनकर कई किसान चौंक गए, “इतना कम?” डिंडोरी में फिर भी थोड़ा ठीक है, ₹1,930 से ₹2,025 के बीच का भाव है, लेकिन रीवा मंडी की बराबरी नहीं कर पा रहा।
क्यों होता है ऐसा फर्क अलग-अलग मंडियों में?
इसका जवाब आसान नहीं, लेकिन थोड़ा बहुत समझ आता है। हर मंडी की डिमांड अलग होती है, हर जगह की मिट्टी, पैदावार और क्वालिटी भी अलग होती है। चाकघाट जैसी मंडी में अगर अच्छा माल आता है और वहाँ खरीददार तैयार बैठे हैं, तो भाव बढ़ना लाज़मी है।
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मौसम, सरकार और MSP – इनका क्या रोल है?
अब बात करें ,असली खेल की – MSP और मौसम। अगर बारिश सही टाइम पर हो जाए और सरकार भी बढ़िया MSP तय कर दे, तो किसान को कुछ राहत मिल ही जाती है। खरीफ की फसल जब आती है, यानि सितंबर से नवंबर के बीच, तब भाव ज़्यादा मिलते हैं। लेकिन जब नया सीजन शुरू होता है, या मंडियों में पुराना माल बचा रहता है, तो रेट थमे रहते हैं। सरकार अगर खरीफ 2025‑26 में MSP बढ़ा दे, तो भाव ₹2,300 से ₹2,400 तक जाने की उम्मीद जताई जा रही है।
किसानों को क्या करना चाहिए ऐसे में?
कई पुराने किसान कहते हैं, अगर मंडी में ज्यादा भीड़ हो, तो फसल तुरंत मत बेचो। थोड़ा रोक के रखो, हो सकता है 10–20% ज्यादा रेट मिल जाए। हां, अगर आप अच्छी क्वालिटी वाला धान उगाते हो, जिसमें नमी कम हो और दाना साफ हो, तो व्यापारी खुद आपको खोजेंगे।
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